मैं जब नफ़रत की बात करता हूँ,
तो सारे कान खड़े हो जाते हैं,
पर जब प्यार की बात करता हूँ,
तो किसी को कुछ नहीं सुनता.
किसी का ख़ून बहाना हो,
तो भीड़ जमा हो जाती है,
किसी की जान बचानी हो,
तो मैं अकेला रह जाता हूँ.
किसी को दूर करना हो,
तो एक पल भी नहीं लगता,
किसी को गले लगाना हो,
तो सालों बीत जाते हैं.
यह दुनिया भी अजीब दुनिया है,
दुःख के पीछे दौड़ती है
और जो सामने खड़ा है,
उस सुख के लिए तरसती है.
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(३१-१२ -२०२१) को
'मत कहो अंतिम महीना'( चर्चा अंक-४२९५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंकिसी का ख़ून बहाना हो,
जवाब देंहटाएंतो भीड़ जमा हो जाती है,
किसी की जान बचानी हो,
तो मैं अकेला रह जाता हूँ.
बहुत ही सुंदर रचना।
बहुत दिनों बाद कुछ नया पड़ने को मिला धन्यवाद
बहुत ही सही बात कही आपने!
जवाब देंहटाएंएक एक पंक्ति हकीकत को बयां कर रही है!
यह दुनिया भी अजीब दुनिया है,
जवाब देंहटाएंदुःख के पीछे दौड़ती है
और जो सामने खड़ा है,
उस सुख के लिए तरसती है.
बहुत सही कहा आपने । नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।