top hindi blogs

मंगलवार, 7 दिसंबर 2021

६२६. प्रकृति और आदमी



मैंने माँगा नहीं,

पर पेड़ों ने छाँव दी,

पौधों ने फूल दिए,

फूलों ने ख़ुश्बू दी,

झरनों ने पानी दिया,

हवा ने ताज़गी दी,

सूरज ने रौशनी दी, 

चाँद ने शीतलता दी. 


सबने बिना मांगे 

कुछ-न-कुछ दिया, 

मैंने आदमी से माँगा,

उसने कहा,

‘मेरे पास इतना कहाँ है 

कि तुम्हें कुछ दे सकूं.’


6 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!बहुत ही सुंदर प्रकृति निवार्थ भाव से लुटाती है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 09 दिसंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    जवाब देंहटाएं
  3. प्राकृति ऐसी ही है ... सब कुछ देती है बस ...

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही शानदार प्रस्तुति👌👌

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रकृति का दोहनकर पर को क्या देगा

    सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं