दस सिर थे रावण के,
पर था तो वह एक ही,
एक ही तीर चलाया था राम ने,
सोख लिया था उसकी नाभि का अमृत
और अंत हो गया रावण का.
आज के राम का काम ज़रा मुश्किल है,
अब दस सिर वाला एक रावण नहीं,
अलग-अलग सिर वाले हज़ारों रावण हैं,
अब रावणों को मारना है,
तो तीर कई होने चाहिए
और निशाना होना चाहिए अचूक.
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(21-12-21) को जनता का तन्त्र कहाँ है" (चर्चा अंक4285)पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
यथार्थ का प्रस्तुत करती चिन्तनपरक रचना ।
जवाब देंहटाएंगली-गली में रावण है
जवाब देंहटाएंनेता जी का भाषण है
राम अकेले थक जाएँगे
तीर भी उनके चुक जाएंगे.
राम के पास आज भी है वो निशाना ... समय पर तीर चलेगा ...
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