पत्तों,
ज़रा-सी बारिश क्या हुई,
तुम तो सज-धजकर
तैयार हो गए
कि सुहाने मौसम में
कहीं घूमने जाएंगे,
पर संभव नहीं है
तुम्हारा कहीं घूमने जाना।
ऐसा करो कि जहाँ हो,
वहीं थोड़ा-सा नाच लो,
जिस पेड़ ने तुम्हें
जकड़ रखा है,
न वह ख़ुद कहीं जाएगा,
न तुम्हें जाने देगा.
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंसादर
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 26 दिसंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बहुत ख़ूब !
जवाब देंहटाएंपिंजड़े की मैना और डाल के पत्तों की एक ही नियति है !
उनकी किस्मत में उड़ना लिखा ही नहीं है.
बहुत सुंदर सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
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