मीटिंग के बीच में
अचानक मेरे दिमाग़ में
एक कविता कौंध गई,
कविता ने कहा,
सब कुछ छोड़ो,
पहले मुझे लिखो,
मीटिंग तो बाद में भी हो जाएगी,
पर मैं चली गई,
तो लौटकर नहीं आऊंगी.
मैं कविता से बहुत प्यार करता हूँ,
पर मुझे उससे एक शिकायत है,
किसी ज़िद्दी बच्चे की तरह
जब कभी वह मचल जाती है,
तो सारे ज़रूरी काम छोड़कर
उसी को देखना पड़ता है.
सही कहा आपने
जवाब देंहटाएंसत्य कथन । अक्सर व्यस्तता के बीच उपजी कविता के भाव फ्री हो कर लिखने तक खो जाते हैं । सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
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