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मंगलवार, 7 मार्च 2023

७०२. गुब्बारे



उसने होली में मुझ पर 

गुब्बारा कुछ ऐसे फेंका

कि उसका निशाना लग भी गया

और नहीं भी. 

**

वह जो खिड़की के पीछे से 

गुब्बारे फेंकती है,

डरती भी है,

निडर भी है. 

**

हमेशा की तरह 

इस बार भी होली में 

गुब्बारा नहीं लगा मुझे,

कहीं ऐसा तो नहीं 

कि तुम हर बार 

जान-बूझकर निशाना चूक जाती हो. 

**

तुमने मुझ पर गुब्बारा फेंका,

मैं सिर से पाँव तक भीग गया,

फिर भी न जाने क्यों 

मुझे ऐसा लगा 

कि गुब्बारे में पानी कम था. 

**

इस बार होली में 

अजीब नज़ारा देखा,

गुब्बारा एक चला,

पर घायल कई हो गए.


7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 09 मार्च 2023 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०९ -०३-२०२३) को 'माँ बच्चों का बसंत'(चर्चा-अंक -४६४५) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  3. मुग्ध करती रचना, होली की शुभकामनाएं आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह!क्या बात है कुछ भाव छुपाए सरस रचनाएं।

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  5. वाह! होली पर ग़ुब्बारे फोड़ने का मोहक अंदाज़!

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