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रविवार, 19 मार्च 2023

७०४. घुटनों का दर्द

 


पिता,

बहुत परेशान रहता था मैं 

अपने घुटनों के दर्द से,

पर जब से पता चला है 

कि ऐसा ही दर्द तुम्हें भी होता था, 

मुझे अच्छा लगने लगा है

अपने घुटनों का दर्द. 

***

पिता,

मैं भी तड़पता रहता हूँ 

घुटनों के दर्द से,

जैसे तुम तड़पते थे, 

तुम्हारी तो मजबूरी थी,

पर मैंने इसे चुना है. 

***

पिता,

जब से मैंने सुना है

कि मुझे घुटनों का दर्द 

तुमसे मिला है, 

मैं अक्सर महसूस करता हूँ 

अपने घुटनों में तुम्हारा धड़कना.  


6 टिप्‍पणियां:

  1. जेनेटिक बीमारी का पता चलने पर कहीं न कहीं हम माता-पिता को उनकी अनुपस्थिति अपने में ही महसूस कर उनके दर्द के करीब स्वयं को पाते हैं ।मन के द्वन्द्व पर भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति ।

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  2. पिता पर आपकी ये कविता.. अद्भुत और हृदयस्पर्शी है,
    पिता पर बहुत भरा लेखन।

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 22 मार्च 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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  4. गजब संवेदनाओं से ओतप्रोत सृजन आदरणीय।
    अप्रतिम।

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  5. ख़ामोश अहसास की संवेदनशील अभिव्यक्ति. दिल को छू गई. अभिनन्दन.

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