top hindi blogs

शुक्रवार, 3 मार्च 2023

७०१. होली पर कुछ प्रेम कविताएं

 


पिछली होली में तुमने 

जो रंग डाला था,

अभी उतरा नहीं है,

जो सबको दिखता है,

तुम्हें क्यों नहीं दिखता?

**

इस बार होली में गुझिया बनाओ,

तो उसमें चीनी मत डालना,

डालो, तो ख़ुद मत खिलाना,

मुझे मीठा पसंद है,

पर इतना ज़्यादा भी नहीं. 

**

मैं तुम पर रंग कैसे डालूं,

तुम्हें एलर्जी हो गई तो?

मैं तुम पर पानी कैसे डालूं,

तुम्हें ज़ुकाम हो गया तो?

सोचता हूँ, कुछ भी न डालूं,

पर तुम्हें ग़लतफ़हमी हो गई तो?

**

इस बार होली में 

कोई गहरा रंग लगाना,

वह रंग ही क्या,

जो दिवाली तक उतर जाए? 


3 टिप्‍पणियां:

  1. सरलता के साथ गहन चिन्तन उकेरती सुन्दर रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(०५ -०३-२०२३) को 'कुछ रंग आपस में बांटे - --'(चर्चा-अंक -४६४४ ) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. आपके लिखने का तरीका अच्छा है । कम शब्दों में गहराई से लिख देते है।

    जवाब देंहटाएं