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बुधवार, 31 अगस्त 2022

६६४. नल

 



क्यों सिसकता रहता है हर वक़्त 

मेरे घर का नल?

खुलकर रोता क्यों नहीं?

दहाड़ें मारकर रोए,

तो शायद कोई इलाज भी करवाए. 

***

कुछ बोलता नहीं,

रोता ही रहता है 

मेरे घर का नल,

वह कुछ कहता नहीं,

मैं कुछ समझता नहीं. 

***

रात भर जगा रहता हूँ,

रो लेता हूँ कभी-कभी,

उचटती रहती है नींद 

मेरे घर के नल की,

वह भी टपका देता है 

एकाध बूँद पानी. 

***

नल चू रहा है,

तो चूने दो थोड़ी देर,

अच्छा नहीं होता हमेशा 

रोते को चुप कराना. 


11 टिप्‍पणियां:

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 02 सितंबर 2022 को 'रोता ही रहता है मेरे घर का नल' (चर्चा अंक 4540) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

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  3. एक जड़,एक चेतन! पर दोनों की व्यथा एक-सी !
    मर्मांतक अभिव्यक्ति ओंकार जी 🙏

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  4. बेचारा नल ! बूँद-बूँद से सागर बनता है, क्या आपने यह नहीं सुना है, जब दुःख छोटा हो तभी उसका इलाज कराना ठीक है

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  5. बहुत खूब!! एक बूंद ने जाने कितने भाव प्रगट कर दिए।

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  6. वाह! लाजवाब!!
    बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
    बहुत ही सुंदर लिंक धन्यवाद आपका
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  7. city that you never made a point to see when you lived here, because you preferred the small theaters, where you could see the actor’s fingernails https://smfclyrics.com

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  8. बहने से मन का दर्द भी आसानी से निकल जाता है पर आसान नहीं जीवन में नल या नल जैसा हो जाना 🙏

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