सुनो,
तुमने सूट कहाँ से ख़रीदा,
बता दिया,
मेकअप का सामान कहाँ से लिया,
बता दिया,
चप्पलें कहाँ से ख़रीदीं,
बता दिया,
गहने कहाँ से लिए,
यह भी बता दिया।
नहीं बताया,
तो बस इतना
कि बिग बाज़ार से,
शॉपर्स स्टॉप से
या पैंटालूंस से,
कहाँ से ख़रीदी
तुमने यह मुस्कराहट?
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 21 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बिग बाज़ार से,
जवाब देंहटाएंशॉपर्स स्टॉप से
या पैंटालूंस से,
कहाँ से ख़रीदी
तुमने यह मुस्कराहट?
अलग सी सोच के साथ बहुत सुन्दर सृजन ।
वाह , गहन चिंतन । सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंबताते भी कैसे ? क्यों कि मुस्कुराहट किसी शो रूम में नहीं मिलती ।।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२२-०८ -२०२२ ) को 'साँझ ढलती कह रही है'(चर्चा अंक-१५२९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
नवीनता से युक्त बहुत ही सुन्दर रचना काश मुस्कुराहट भी खरीदी जा सकती
जवाब देंहटाएंनवीनता लिए हुए सुंदर रचना काश मुस्कुराहट को भी खरीद सकते
जवाब देंहटाएंमुस्कान भी खरीद सकते ,बड़ी महंगी हो गई है यह ,क्यूट रचना
जवाब देंहटाएंमुस्कान तो आंतरिक अनुभूति से होती है चेहरे पर काश मिल जाती इन बड़े माॅल में।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन।
आपकी कविताएं सर्वदा गहरे अर्थों को लपेटे मन मोह लेती हैं। हर बार की तरह बहुत मोहक रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां रचना
जवाब देंहटाएंकुछ ही पंक्तियों में कितनी गहरी बात कह दी, लाजवाब रचना।
जवाब देंहटाएं