पिता की मृत्यु के बाद
कोई कौआ कभी
हमारी मुंडेर पर नहीं आया,
पितृपक्ष में भी नहीं.
माँ कहती है,
पिता ख़ुश नहीं थे
अपने अंतिम दिनों में,
कई बार भूखे पेट सो जाते थे.
पिता को अगर भूख लगी,
तो कहीं और चले जाएंगे,
माँ जानती है
कि वे कभी नहीं आएँगे
इस घर में अपना ग्रास लेने.
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सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार
(14-11-21) को " होते देवउठान से, शुरू सभी शुभ काम"( चर्चा - 4248) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
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जवाब देंहटाएंएक कहावत है -
जवाब देंहटाएं'जियत पिता पर दंगम-दंगा,
मरे पिता पहुंचे गंगा.'
एक महत्वपूर्ण प्रश्न !
संतान को अपने वृद्ध माता-पिता के जीवन में उनकी सेवा करने को महत्व देना चाहिए न कि उनकी मृत्यु के बाद धूमधाम से उनका अंतिम संस्कार करने में या उनका प्रति वर्ष श्राद्ध करने में !
गहन रचना।
जवाब देंहटाएंचिंतनपूर्ण रचना ।
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