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मंगलवार, 2 नवंबर 2021

६१६. कारोबार




क्यों जला रहे हो दिए

साल भर अँधेरा बाँटने वाले?

कोई हक़ नहीं तुम्हें 

कि रोशनी बिखेरने का नाटक करो. 


किसी भ्रम में मत रहना,

सब लोग जानते हैं तुम्हारी असलियत,

बहकावे में नहीं आने वाले,

उन्हें मालूम है 

कि रोशनी बाँटने का तुम्हारा 

कोई इरादा है ही नहीं. 


उन्हें मालूम है 

कि तुम्हारा दिए जलाना,

रोशनी बाँटना, 

बस एक चाल है 

ताकि अँधेरे का कारोबार करने में 

तुम्हें थोड़ी आसानी हो जाय. 


9 टिप्‍पणियां:

  1. सभी के लिए दीप पर्व मंगलमय हो|सुंदर रचना|

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  2. बहुत सटीक रचना,दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  3. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 11 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. बहुत सारगर्भित दृश्य दिखाती उत्कृष्ट रचना।

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