काश कि मेरी ख़ुशी में
तुम भी शामिल होते.
एक वक़्त वह भी था,
जब हर ख़ुशी में
हम साथ होते थे,
मैं तुम्हारे पास
या तुम मेरे पास,
पर अब साथ होना
सपना-सा हो गया है,
अब तुम अशक्त
और मैं व्यस्त.
अब तुम्हारे बिना ही मुझे
मनानी होंगी सारी ख़ुशियाँ.
अक्सर ऐसा क्यों होता है
कि जब किसी की ज़रूरत
सबसे ज़्यादा महसूस होती है,
वह अचानक दूर हो जाता है?
सुन्दर सृजन| हिंदी दिवस की शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंजब तक पास रहता है तो अहमियत नहीं लगती ।।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना ओंकार जी |
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंबिछड़ने के सौ बहाने हैं !
हृदयस्पर्शी सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
अक्सर ऐसा क्यों होता है
जवाब देंहटाएंकि जब किसी की ज़रूरत
सबसे ज़्यादा महसूस होती है,
वह अचानक दूर हो जाता है?
इस प्रश्न का जवाब मैं भी ढूंढ रही हूं!पर मुझे अब तक न पाया!पता नहीं क्यों लोग जरूरत के वक्त ही दूर जाते हैं! जो कभी मुस्कान हुआ करते थे!
वे आंसुओं की वजह क्यों बन जाते हैं?
जिन रिश्तो में पाने और खोने
जैसा कुछ भी नहीं होता?
वे रिश्ते भी सिर्फ नाम के क्यों रह जाते हैं?
बहुत ही मार्मिक और हृदय स्पर्शी रचना!
अन्तर्मन को छूती रचना ।बहुत बधाई ओंकार जी ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया कविता
जवाब देंहटाएंमर्म को छूती गहन शब्द रचना।
जवाब देंहटाएंसुंदर।