top hindi blogs

बुधवार, 25 अगस्त 2021

५९९. गाँव की लड़की

 


गाँव की वह छोटी-सी लड़की 

सुबह-शाम आँगन बुहारती है,

गाय-भैंसों को चारा देती है,

माँ की बनाई हुई रोटियाँ 

खेत में बाप को पहुँचाती है. 


गाँव की वह छोटी-सी लड़की

बिना नाग़ा स्कूल जाती है,

परीक्षा में अच्छे नंबर लाती है,

हर शाम छोटी बहन को 

पाठ तैयार कराती है. 


गाँव की वह छोटी-सी लड़की

घर के हर बीमार को 

डॉक्टर तक ले जाती है, 

दवा, मिट्टी का तेल,राशन-

ज़रूरत का हर सामान 

दौड़कर दुकान से लाती है. 


गाँव की वह छोटी-सी लड़की

बहुत उदास हो जाती है,

जब भी उसके माँ-बाप कहते हैं,

‘काश,हमारे यहाँ बेटा पैदा होता.’


8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन के में" आज गुरुवार 26 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. सही बात हर बेटी के मन की...बेटों से भी बढ़कर करके भी जब ऐसा सुनती है बेटी तो अंदर से टूट जाती है।
    बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  3. हृदय स्पर्शी सृजन।
    किसी भी समर्पित बेटी का ये दुर्भाग्य ही होता है ।
    काश....!

    जवाब देंहटाएं
  4. मन के भाव बाखूबी लिखे हैं ... उदासी सबको है इस सोच पर ...

    जवाब देंहटाएं
  5. bahut gehari baat kahi aur shabdon se waqai man ke bhavon ko khusbsurti se ubhara hai !
    abhar!

    जवाब देंहटाएं