मेरी बातें
तुम्हें बुरी लगती हैं,
तो कहो.
बहस करो,
चीख़ो-चिल्लाओ,
झगड़ा करो,
पर चुप न रहो.
बहुत खलती है मुझे चुप्पी,
बड़ी डरावनी होती है यह,
रिश्तों के टूटने का ख़तरा
बहुत ज़्यादा होता है चुप्पी में.
वाकई में । जहाँ संवाद नहीं वहाँ रिश्ते जटिल हो जाते हैं ।
बहुत सुन्दर रचना।--महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत ही अच्छी कविता ।महाधिवृतरी पर्व पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं
चुप्पी और मौन में फर्क बस इतना ही।बेहतरीन।नई रचना
par logon ko chuppi kitni achhi lagti hai na!
बहुधा चुप्पी कर जाती है बहुत कुछ बयां - - सुन्दर सृजन।
चुप्पी कभी तो उचित होती है कभी घातक, बहुत ही सुंदर सृजन,सादर नमन आपको
सही कहा चुप्पी चुभती है। बहुत सुंदर सृजन।सादर
बहुत सुंदर सृजन आदरणीय।
लाजवाब पंक्तियाँ !सुन्दर भावों से सजी शानदार कविता! बधाई!मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत हैhttps://sanjaybhaskar.blogspot.com
बहुत सुंदर रचना
बहुत खूब |
वाकई में । जहाँ संवाद नहीं वहाँ रिश्ते जटिल हो जाते हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएं--
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत ही अच्छी कविता ।महाधिवृतरी पर्व पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंचुप्पी और मौन में फर्क बस इतना ही।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
नई रचना
par logon ko chuppi kitni achhi lagti hai na!
जवाब देंहटाएंबहुधा चुप्पी कर जाती है बहुत कुछ बयां - - सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंचुप्पी कभी तो उचित होती है कभी घातक, बहुत ही सुंदर सृजन,सादर नमन आपको
जवाब देंहटाएंसही कहा चुप्पी चुभती है। बहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर सृजन आदरणीय।
जवाब देंहटाएंलाजवाब पंक्तियाँ !सुन्दर भावों से सजी शानदार कविता! बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है
https://sanjaybhaskar.blogspot.com
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खूब |
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