किसी मुग़ालते में मत रहो,
कोई दुखी नहीं होगा
तुम्हारे मरने पर,
सब परेशान हैं तुम्हारी बीमारी से.
तुम मरोगे, तो सब कहेंगे,
‘अच्छा हुआ,
कष्ट से मुक्ति मिली.’
मुक्ति उन्हें भी मिलेगी,
जो पीछे छूट जाएंगे,
वे झूमेंगे-नाचेंगे,
ख़ुश नज़र आएँगे,
तुम देख सकते,
तो भ्रम में पड़ जाते
कि यह क्या है,
तुम्हारी शव-यात्रा या बारात?
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसच है किसी के मरने से बहुत फर्क नहीं पड़ता बहुत लोगों को ,, हाँ ये बात जरूर है कि फर्क उसे पड़ता है जो उसके सहारे जिन्दा रहता है ,,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना
बहुत सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंओह्ह.... गहन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ६ अगस्त २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
ये पंक्तियाँ खुद में झाँकने के लिए मजबूर कर रही है। इस सच से हालफिलहाल में ही गुजरा हूँ...
जवाब देंहटाएं....
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''किसी मुग़ालते में मत रहो,
कोई दुखी नहीं होगा
तुम्हारे मरने पर,
सब परेशान हैं तुम्हारी बीमारी से.
तुम मरोगे, तो सब कहेंगे,
‘अच्छा हुआ,
कष्ट से मुक्ति मिली.’''