मुझे बहुत अच्छी लगती हैं
साइकिल चलानेवाली लड़कियाँ।
जब वे पैडल मारते हुए निकलती हैं,
बहुत बहादुर लगती हैं,
जब दोनों हाथों से हैंडल थामती हैं,
तो लगता है, यक़ीन है उन्हें ख़ुद पर.
सीट पर बैठी लड़कियाँ जानती हैं
हर हाल में संतुलन बनाए रखना,
छोटे-मोटे पत्थरों की परवाह नहीं करतीं
साइकिल चलानेवाली लड़कियाँ।
उन्हें पता होता है
कि कहाँ रुकना है,
कितना रुकना है,
क्यों रुकना है,
कि उनकी मंज़िल कहाँ है।
बहुत मज़बूत होती हैं
कमर में दुपट्टा खोंसे
साइकिल चलानेवाली लड़कियाँ,
इससे पहले कि वे घंटी बजाएँ,
मैं किनारे हो जाता हूँ,
मुस्कुराते हुए सर्र से गुज़र जाती हैं
देखने में दुबली-पतली
साइकिल चलानेवाली लड़कियाँ।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसकारात्मक भाव लिए सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसादर।
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २० अगस्त २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर। पाठक के मन विश्वास भरने वाली रचना।
जवाब देंहटाएंसच में बहुत प्यारी और सशक्त लगती हैं साईकिल चलाती लड़कियाँ। एक आनंद देती रचना के लिए आभार ओंकार जी 🙏
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