बहुत प्यार से बुना है
मैंने तुम्हारे लिए यह स्वेटर,
बहुत मेहनत लगी है इसमें,
ज़िन्दगी के बहुत सारे लम्हे
लगा दिए हैं मैंने इसे बुनने में,
बिल्कुल फ़िट बैठेगा यह तुम पर,
बहुत जचोगे इसमें तुम.
बस इतना ध्यान रखना
कि इसके फंदे ही स्वेटर हैं,
उन्हें हटाने की कोशिश मत करना,
वरना सिर्फ़ धागे रह जाएंगे हाथ में,
धागे तुम पहन नहीं पाओगे।
बड़े जतन से जब फंदे लगाए जाते हैं,
तब जाकर बनता है एक अच्छा स्वेटर.
वाह
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति सर।
जवाब देंहटाएंसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १ दिसम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंधागे के फंदे से स्वेटर और भावों के फंदे से कविता
लाजवाब।
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंकितना कुछ कहती रचना ...
जवाब देंहटाएंवाह ....ओंकार जी...क्या खूब लिखी है कविता.... कविता लिखना जितना जरूरी है
जवाब देंहटाएंउससे कम जरूरी नहीं अलग तरह की कविता लिखना
बिल्कुल सही कहा आपने यही तो कवि की सृजनात्मकता होगी ,ज़रूरत भी इसी की है