उस घर में
एक टेबल थी,
एक कुर्सी,
जब से मिले,
साथ-साथ थे
एक ही कमरे में.
दोनों धीरे-धीरे
पुराने हो गए हैं,
कुर्सी का एक हाथ,
टेबल का एक पाँव
अब टूट गया है.
इन दिनों कुर्सी बरामदे में,
टेबल आँगन में है,
उनकी जगह अब
नई कुर्सी,नया टेबल है.
दोनों अलग-अलग हैं,
दोनों बेचैन हैं,
दोनों चाहते हैं
कि साथ-साथ रहें,
जब तक कि वे पूरी तरह
टूट न जायँ.
वाह
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर शनिवार 04 नवंबर 2023 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
आपका सृजन सदैव गहनता समेटे होता है ।अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति । सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंवाह... बहुत खूब👌👌
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह, आप एक रोज़मर्रा की बात ले कर, उसे इतना खास बना देते हैं!
जवाब देंहटाएंअनुपम
जवाब देंहटाएंसाथ में ही सजते और बिखरते हैं...घर के फ़र्नीचर भी...सुन्दर अभिव्यक्ति...👌👌👌
जवाब देंहटाएंइशारे इशारे में आपने घर में मौजूद बुजुर्ग दंपति के मन की बात कह दी
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !
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