नया घर पुकारता है,
कहता है, चले आओ,
यहाँ रहो,
पर पुराना घर
कलाई नहीं छोड़ता,
कहता है,
मैं मानता हूँ
कि मेरा प्लास्टर झड़ रहा है,
सीलन से भरे हैं मेरे कमरे,
पर तुम्हारी यादें हैं मुझमें.
नया घर कहता है,
‘सोचो मत,आ जाओ’,
मैं तुम्हें रहने का सुख दूँगा,
यादों का क्या है,
मैं भी दूँगा बहुत सारी।
अंततः नया घर जीत जाता है,
पर नए घर में
पीछा करती हैं मेरा
पुराने घर की सिसकियाँ,
इस तरह हर नए घर में
घुसा रहता है पुराना घर.
नया घर भी एक दिन पुराना हो जाएगा, फिर कोई और नया ख़्वाब दिखायेगा
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्रण
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 27 नवम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंघर तो नया होता पर उसमें जाने वालों का दिल पुरानी यादों को समेटे हुए रहता।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
बहुत सुंदर सृजन ।
जवाब देंहटाएंवाह! सुन्दर सृजन!
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