आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (20-04-2022) को चर्चा मंच "धर्म व्यापारी का तराजू बन गया है, उड़ने लगा है मेरा भी मन" (चर्चा अंक-4406) पर भी होगी! -- सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' --
वाह वाह
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 19 अप्रैल 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंकड़वी सच्चाई को पन्नो पर बिखेर दिया आपने।
जवाब देंहटाएंसराहनीय।
सादर
नितांत व्यक्तिगत है ये अनुभूति 🙏
जवाब देंहटाएंदिल तो सभी के खो गए हैं आजकल या सो गए हैं, सुबह सूरज और रात को चाँद अब भी दुनिया को रोशन कर रहा है और लोग छोटी-छोटी बातों पर लड़ रहे हैं
जवाब देंहटाएंसांस का आना जाना ही बताता है कि दिल धड़क तो रहा है ,बाकी दिल है या नहीं ये शोध का विषय है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (20-04-2022) को चर्चा मंच "धर्म व्यापारी का तराजू बन गया है, उड़ने लगा है मेरा भी मन" (चर्चा अंक-4406) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' --
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदया और धर्म के अभाव में लाजिमी है शक होना कि दिल है भी कि नहीं हममें से किसी पे...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर।
वाह ! कितना प्यारी दुविधा है ।
जवाब देंहटाएंदिल के डाॅक्टर को पता होगा क्या ?
: )
वाह ! सुंदर भाव ।
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