वह जब हँसता है,
तो डर जाते हैं सभी,
घुस जाते हैं घरों में,
बंद कर लेते हैं दरवाज़े,
समझ जाते हैं
कि होने वाला है कोई अनिष्ट.
जब कोई हँसता है,
तो अक्सर दूसरे भी हँसते हैं,
पर हमेशा ऐसा हो,
यह ज़रूरी नहीं है.
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वह जब हँसता है,
तो काँपने लगती है ज़मीन,
ढहने लगते हैं घर,
सब प्रार्थना करते हैं
कि उसका हँसना
जल्दी बंद हो जाय.
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उससे कहो
कि हँसे नहीं,
चुप रहे,
वह जब हँसता है,
तो मुहल्ले के सारे बच्चे
रोने लगते हैं.
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वह जब हँसता है,
तो हँसने लगते हैं
गली के कुत्ते,
सच कहते हैं लोग
कि हँसी संक्रामक होती है.
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(०८-०४ -२०२२ ) को
''उसकी हँसी(चर्चा अंक-४३९४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत ख़ूब !
जवाब देंहटाएंवैसे हमारे देश-संचालकों की निश्छल हंसी के बारे में इतना खुल कर लिखने की क्या आवश्यकता थी?
"उससे कहो
जवाब देंहटाएंकि हँसे नहीं,
चुप रहे,
वह जब हँसता है,
तो मुहल्ले के सारे बच्चे
रोने लगते हैं. "
अति उत्तम !!