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शनिवार, 30 अप्रैल 2022

६४८. मुट्ठी



कभी उससे मिलो,

तो ज़बर्दस्ती ही सही,

उसकी मुट्ठी खोल देना,

उसमें मेरी रेखाएँ बंद हैं,

उन्हें मेरे हाथ में होना चाहिए. 

**

न जाने कब से 

जकड़ रखा है उसने 

बंद मुट्ठी में मुझे,

साँस नहीं ले पा रहा मैं,

इतना हताश हूँ 

कि कोशिश भी नहीं कर रहा 

मुट्ठी खुलवाने की. 

**

इंतज़ार मत करो 

कि कोई और खोलेगा 

उसकी बंद मुट्ठी,

तुम्हारा दम घुट रहा है,

तो तुम्हीं हिम्मत दिखाओ,

दाँतों से काट खाओ ,

मुट्ठी खुलवाओ 

आज़ाद हो जाओ.

**

जब वह कहता है 

कि तुम बहुत अच्छी हो,

तो उसका मतलब कुछ और नहीं,

बस इतना ही होता है 

कि तुम उसकी मुट्ठी में हो. 

**

कितनी नादान हो,

जो सोच रही हो 

कि तुम उसे अपनी 

उंगलियों पर नचा रही हो,

तुम्हें पता ही नहीं है 

कि तुम ख़ुद उसकी मुट्ठी में हो.


7 टिप्‍पणियां:

  1. इंतज़ार मत करो
    कि कोई और खोलेगा
    उसकी बंद मुट्ठी,
    तुम्हारा दम घुट रहा है,
    तो तुम्हें ही हिम्मत करना होगा,
    बहुत सुन्दर सृजन ।

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (3-5-22) को "हुई मन्नत सभी पूरी, ईद का चाँद आया है" (चर्चा अंक 4419) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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  3. बहुत ही उम्दा प्रस्तुति

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