कभी उससे मिलो,
तो ज़बर्दस्ती ही सही,
उसकी मुट्ठी खोल देना,
उसमें मेरी रेखाएँ बंद हैं,
उन्हें मेरे हाथ में होना चाहिए.
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न जाने कब से
जकड़ रखा है उसने
बंद मुट्ठी में मुझे,
साँस नहीं ले पा रहा मैं,
इतना हताश हूँ
कि कोशिश भी नहीं कर रहा
मुट्ठी खुलवाने की.
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इंतज़ार मत करो
कि कोई और खोलेगा
उसकी बंद मुट्ठी,
तुम्हारा दम घुट रहा है,
तो तुम्हीं हिम्मत दिखाओ,
दाँतों से काट खाओ ,
मुट्ठी खुलवाओ
आज़ाद हो जाओ.
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जब वह कहता है
कि तुम बहुत अच्छी हो,
तो उसका मतलब कुछ और नहीं,
बस इतना ही होता है
कि तुम उसकी मुट्ठी में हो.
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कितनी नादान हो,
जो सोच रही हो
कि तुम उसे अपनी
उंगलियों पर नचा रही हो,
तुम्हें पता ही नहीं है
कि तुम ख़ुद उसकी मुट्ठी में हो.
इंतज़ार मत करो
जवाब देंहटाएंकि कोई और खोलेगा
उसकी बंद मुट्ठी,
तुम्हारा दम घुट रहा है,
तो तुम्हें ही हिम्मत करना होगा,
बहुत सुन्दर सृजन ।
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (3-5-22) को "हुई मन्नत सभी पूरी, ईद का चाँद आया है" (चर्चा अंक 4419) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
कटु सत्य
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह!वाह! गज़ब कहा सर।
जवाब देंहटाएंसादर
बेहतरीन सृजन
जवाब देंहटाएंसत्य की तस्वीर
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