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मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

४२४. सफ़ाई


House, Home, Icon, Symbol, Sign

चलो, आज घर में हैं,
तो थोड़ी सफ़ाई करते हैं.

तोड़ देते हैं
अहम के जाले,
बुहार देते हैं
ग़लतफ़हमियों की धूल,
डाल देते हैं मशीन में
रिश्तों की चादरें,
उतार देते हैं 
उन पर जमी  मैल.

शिकायतों का कचरा,
जो भरा पड़ा है
अलमारियों-दराज़ों में,
ढूंढ कर निकालते हैं उसे,
फेंक आते हैं कूड़ेदान में.

एक बाल्टी लेते हैं,
डालते हैं ढक्कन-भर
प्यार का फिनायल
और लगा देते हैं पोंछा 
समूचे घर में.

9 टिप्‍पणियां:

  1. शिकायतों का कचरा फेक कर अगर प्यार के फिनायल से हर एक अपना घर पोछ ले तो धरा स्वर्ग बन जाए. लाज़बाब सोच और सुंदर आवाहन ,काश सब समझ ले ,सादर नमन आपको

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (17-04-2020) को "कैसे उपवन को चहकाऊँ मैं?" (चर्चा अंक-3674) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है

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  3. बहुत खूब लिखा है ... काश अब तो कर लें ये सब ...

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  4. कितनी सुन्दर आयोजना - दमक उठेगा पूरा परिवेश.

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  5. वाह,अब तो घर खुशी से उमग,दमक उठेगा !

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