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शनिवार, 11 अप्रैल 2020

४२२. अब जब घर में हो

Monkey, Mirror, Stare, Thinking, Monkey

अब जब घर में हो,
तो कभी आईना देख लेना,
फिर सच-सच बताना,
क्या तुम वही हो,
जो तुम सोचते हो 
कि तुम हो.
***
अब जब घर में हो,
तो उनकी भी सुध लो,
जो सालों से घर में हैं,
पर बेघर हैं.
***
अब जब घर में हो,
तो थोड़ा शांत बैठो,
बहुत भाग चुके ,
इतना कि भागते-भागते तुम
ख़ुद से आगे निकल गए हो.
***
अब जब घर में हो,
तो गिनो, 
तुम्हारे आस-पास कितनी खाइयाँ हैं,
सबको पाटने के लिए तुम्हें 
कितना लम्बा लॉकडाउन चाहिए?

8 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन सृजन । बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीय ।

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  2.  मैंने, कतिपय कारणों से, अपना फेसबुक एकांउट डिलीट कर दिया है। अतः अब मेरी रचनाओं की सूचना, सिर्फ मेरे ब्लॉग
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  4. अब जब घर में हो,
    तो थोड़ा शांत बैठो,
    बहुत भाग चुके ,
    इतना कि भागते-भागते तुम
    ख़ुद से आगे निकल गए हो.....लाज़वाब और गहरे अर्थ वाला। आभार और बधाई!!!

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  5. अब जब घर में हो,
    तो उनकी भी सुध लो,
    जो सालों से घर में हैं,
    पर बेघर हैं.
    वाह!!!
    क्या बात...
    बहुत लाजवाब।

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  6. बहुत सुन्दर चिन्तनपरक सृजन.

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  7. अब जब घर में हो,
    तो थोड़ा शांत बैठो,
    बहुत भाग चुके ,
    इतना कि भागते-भागते तुम
    ख़ुद से आगे निकल गए..बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय सर

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