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मंगलवार, 4 नवंबर 2025

824. स्कूटर भाई

 


स्कूटर भाई, अब चलते हैं,

किसी कबाड़ी के यहां रहते है,

तुम भी पुराने, मैं भी पुराना,

बीत चुका है हमारा ज़माना। 


यूं उदास मत होना,

जो नए हैं, कभी-न-कभी 

वे भी पुराने होंगे,

उनका हाल देखने के लिए

बस हम नहीं होंगे।



7 टिप्‍पणियां:

  1. पुराने की सुखद स्मृतियों को साथ लेकर भविष्य के बदलाव को स्वीकारना ही खुश रहने के लिए जरूरी है।
    सादर
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ७ नवंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है .. शायद ...

    जवाब देंहटाएं