1.
दिवाली के बाद सड़कों पर
यूं बिखरा था पटाखों का मलबा,
जैसे काम निकल जाने के बाद
सही चेहरा दिखे किसी का।
2.
पटाखों का मलबा देखा,
तो मैंने सोचा,
कितना शोर कर रहे थे कल,
आज जाकर पता चली
इनकी असली औक़ात।
3.
सड़क पर पड़े रॉकेट ने कहा,
कुछ सीखो मुझसे,
जो बहुत ऊपर जाता है,
उसे भी आना पड़ता है ज़मीन पर
कभी-न-कभी।
4.
रॉकेट जो कल उड़कर
आसमान में पहुंचा था,
आज इतना बेबस है
कि नहीं बदल सकता
अपने आप करवट भी।
5.
ये चल चुके पटाखे हैं,
फेंक दो इन्हें कूड़ेदान में,
तब की बात और थी,
जब इनमें बारूद भरा था।

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