top hindi blogs

रविवार, 2 मार्च 2025

797. चलो, एक कविता लिखते हैं

 




चलो, आज एक कविता लिखते हैं,

थोड़ा तुम लिखो, 

थोड़ा मैं लिखूँ,

अलग-अलग नहीं, 

साथ मिलकर एक 

अधूरा काम पूरा करते हैं। 


न तुम अपना कष्ट लिखो,

न मैं अपनी तकलीफ़ लिखूँ, 

आज ख़ुद को भूलकर 

 दूसरों का दर्द लिखते हैं। 


न इश्क़ पर कुछ लिखें,

न साक़ी पर, न मय-ख़ाने पर,

न नशीली आँखों पर,

न रसीले होंठों पर, 

आज मेहनतकशों की सुध लेते हैं। 


कोशिश करें, कुछ हटकर लिखें,

उस महिला के बारे में लिखें, 

जो अनदेखी की आग में

अरसे से सुलग रही है, 

उस बूढ़े के बारे में लिखें, 

जिसे मौत तक भूल चुकी है, 

उस बच्चे के बारे में लिखें,

जिसने कभी जाना ही नहीं बचपन। 


आज बे-ज़बानों की ज़बान बनते हैं, 

चलो, आज एक कविता लिखते हैं। 



3 टिप्‍पणियां:

  1. थोड़ा तुम लिखो,
    थोड़ा मैं लिखूँ,
    व्वाहहहह
    वंदन

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह! सच में, ये कविता मिल कर लिखने वाली ही है

    जवाब देंहटाएं
  3. वाक़ई अपने सुख-दुख को भूलकर औरों के दुख को अभिव्यक्त करने वाली कविता अगर दिल से निकलती है तो औरों के दिल को भी छू जाती है

    जवाब देंहटाएं