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मंगलवार, 11 मार्च 2025

798. होली की आहट

 


समय से पहले कूकने लगी है कोयल,

बहने लगी है पछुआ हवा, 

बौर आ गए हैं आम पर,

सबको इंतज़ार है 

इस होली पर तुम्हारे गाँव आने का। 

++

तुम होली नहीं खेलना चाहो, 

तो न सही, 

कम-से-कम आ तो जाओ,

रंगत आ जाएगी कई चेहरों पर 

तुम्हारे आने-भर से। 

++

पिछले फागुन में तुम नहीं आए, 

तो मैंने जाना 

कि होली हर साल आए,

कोई ज़रूरी नहीं है। 

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