समय से पहले कूकने लगी है कोयल,
बहने लगी है पछुआ हवा,
बौर आ गए हैं आम पर,
सबको इंतज़ार है
इस होली पर तुम्हारे गाँव आने का।
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तुम होली नहीं खेलना चाहो,
तो न सही,
कम-से-कम आ तो जाओ,
रंगत आ जाएगी कई चेहरों पर
तुम्हारे आने-भर से।
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पिछले फागुन में तुम नहीं आए,
तो मैंने जाना
कि होली हर साल आए,
कोई ज़रूरी नहीं है।
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