कौन है जिसको तूफ़ां ने उबारा है,
डूबने के सिवा यहाँ कौन सा चारा है?
बदलते रहे हैं बस जीतनेवाले,
हारने को बार-बार मतदाता हारा है.
वो जिसके आने से बरसता है अँधेरा,
राजनीति के आकाश का नया सितारा है.
लोग यहाँ कविता के शौक़ीन लगते हैं,
लगाइए अगर कोई मसालेदार नारा है.
सब कुछ वही है, पर आदमी नए हैं,
हमें नहीं लगता, यह शहर हमारा है.
यारों हवा कुछ इस कदर बदली है,
न कुछ हमारा है, न कुछ तुम्हारा है.
वाह
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 2 मई 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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बहुत सुन्दर
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