इतनी हिंसा,
इतनी नफ़रत,
इतना उन्माद!
बापू,
बहुत खलता है इन दिनों
तुम्हारा नहीं होना.
***
बापू,
कैसा लगता है तुम्हें,
जब तुम देखते हो
कि हमने तुम्हें याद भी रखा है
और भूल भी गए हैं.
***
बापू,
तुम्हारे तीनों बन्दर
सही सलामत हैं,
न बुरा देखते हैं,
न बुरा बोलते हैं,
न बुरा सुनते हैं,
पर समझ में नहीं आता
कि तुमसे अलग होकर
वे इतने ख़ुश क्यों हैं?
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 02 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसुन्दर, गांधी, लाल बहादुर जयन्ती की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंगांधी को भुलाने में तो सब आगे हैं और गांधी का नाम भुनाने में सब और भी आगे हैं.
जवाब देंहटाएंबापू के तीन बन्दर खुश हैं. इंसानों को पता भी नहीं कि वे इनकी धरोहर का करें क्या ? और ये भी कि इनकी मृत्यु इनके जीवन की धुरी नहीं थी. इनकी एक भी अच्छी बात हम सीख सकें तो सबका भला हो. अभिनन्दन.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंकमाल की पंक्तियाँ ...
जवाब देंहटाएंमार्मिक सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना सर।
जवाब देंहटाएंसादर।
-----
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ३० जनवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बस नमन बापू |
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएं