तुम्हारे मोहल्ले की गलियों में,
इस शहर की सड़कों पर
मेरे क़दमों ने जो लिखा है,
वक़्त मिले तो पढ़ लेना.
खम्भे का सहारा लेकर
तुम्हारी खिड़की को ताकते हुए
मेरी आँखों ने जो लिखा है,
वक़्त मिले तो पढ़ लेना.
तुम्हारे बंद दरवाज़े पर
दस्तक देते हुए
मेरी उँगलियों ने जो लिखा है,
वक़्त मिले तो पढ़ लेना.
वह अकेला ख़त, जो मैंने
सालों पहले तुम्हें लिखा था,
उसमें जो अनलिखा है,
वक़्त मिले तो पढ़ लेना.
आप ने लिखा.....
जवाब देंहटाएंहमने पड़ा.....
इसे सभी पड़े......
इस लिये आप की रचना......
दिनांक 24/09/2023 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की जा रही है.....
इस प्रस्तुति में.....
आप भी सादर आमंत्रित है......
wah!
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंअन्लिखित बहुत कुछ लाजवाब होता है ..
जवाब देंहटाएंएक बहुत सुंदर प्रेम कविता
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