ये कैसी बारिश है?
पीले पत्ते शाख़ों पर हैं,
हरे झर रहे हैं,
पके फल पेड़ों पर हैं,
कच्चे टूट रहे हैं.
ये बारिश है कि बूंदा-बांदी?
न कोई बादल,
न कोई गड़गड़ाहट,
बिजली की कौंध भी नहीं,
उम्र तमाम हुई,
पर देखी नहीं कभी ऐसी बारिश.
आसमान से अचानक
गिर पड़ती हैं बूंदें,
न कोई सूचना,
न कोई संकेत,
न कोई चेतावनी.
सूरज चमकता रहता है
आकाश में बेशर्मी से,
देखता रहता है तमाशा,
झरती रहती हैं बूंदें,
पर नहीं बनता कहीं
कोई भी इंद्रधनुष.
धुंधले पड़ते रहते हैं रंग,
गिरते रहते हैं पेड़ों से
कच्चे फल और हरे पत्ते,
समझ में नहीं आता,
ये कैसी बारिश है?
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 20 सितंबर 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना, आदरणीय शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंमौसमी विसंगतियों पर सटीक सृजन आदरणीय, सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंज़िंदगी जैसे एक विरोधाभास बन गई है
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