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गुरुवार, 31 अगस्त 2023

७३१.धागा

 


पत्थर टूट जाते हैं, 

चट्टानें दरक जाती हैं,

पहाड़ तक नहीं झेल पाता 

डायनामाइट का विस्फोट,

पर यह पतला-सा धागा 

न जाने कितना मज़बूत है 

कि कभी टूटता ही नहीं.  


हाँ, कभी-कभार उलझ जाता है, 

पर ज़रा-सी कोशिश से 

सुलझ भी जाता है,

जैसे घर की दीवार में 

हल्की-सी दरार आ जाए,

जो आसानी से पट जाय 

मुट्ठी-भर सीमेंट से. 


यह कोई धागा है 

या हरी-भरी घास है,

जिसकी जड़ें गहरी हैं,

जो लचक कर रह जाती है 

भयंकर आंधी-तूफ़ान में,

जिसमें धराशाई हो जाते हैं 

ऊंचे-ऊंचे पेड़.



6 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! पावन प्रेम का प्रतीक धागा भला कैसे टूट सकता है, जब अमर है प्रेम तब!

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  2. यह कोई धागा है
    या हरी-भरी घास है,
    जिसकी जड़ें गहरी हैं,
    जो लचक कर रह जाती है
    भयंकर आंधी-तूफ़ान में,
    बेहद भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति । अति सुन्दर सृजन ।

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  3. नम को छूती अद्भुत रचना

    बधाई

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  4. यही तो खासियत है इस कच्चे धागे की ...

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