मैं फटा-पुराना नोट हूँ,
किसी को अच्छा नहीं लगता,
पर कोई फेंकता भी नहीं,
सब जानते हैं मेरी क़ीमत.
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हमेशा इतना गंदा नहीं था मैं,
कभी चमचम चमकता था,
औरों के कारण ऐसा हुआ हूँ,
कभी कड़क था मैं भी
उतना ही, जितना तुम हो.
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पुराने नोट ने नए से कहा,
इतना मत इतराओ,
मूल्य मेरा भी उतना ही है,
बस तुम शोर ज़्यादा करते हो.
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 30 अगस्त 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
सुन्दर
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