मुद्दतों बाद मिली हो तुम,
अच्छा तो लगा,
पर उतना नहीं,
जितना सोचा था.
लगता है,
मुझे ज़्यादा अच्छा लगता है,
जब तुम मिलती हो
स्मृतियों में मुझसे,
शायद इसलिए
कि तब डर नहीं होता
तुम्हारे लौट जाने का.
चलो,
अच्छा ही हुआ
कि तुम आ गई,
पर लौट भी जाना
छोड़कर मेरे पास
कुछ ताज़ा स्मृतियाँ.
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 14 अगस्त 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंस्मृतियां.. कितना सुंदर आत्मीय भाव।
जवाब देंहटाएं'अच्छा ही हुआ कि तुम आ गई,
जवाब देंहटाएंपर लौट भी जाना, छोड़कर मेरे पास
कुछ ताज़ा स्मृतियाँ' -बहुत खूब कहा है