उम्र कम हो,
तो मांगें भी छोटी होती हैं,
पूरी न हों,
तो थोड़ी देर का रोना-धोना,
फिर सब कुछ भूल जाना.
उम्र बढ़ती है,
तो बड़ी होने लगती हैं मांगें,
पूरी न हों,
तो दुःख से बेहाल हो जाना,
आसान नहीं रहता भूल पाना.
पता नहीं क्या,
पर कुछ तो हुआ है
कि बहुत जल्दी बड़े हो रहे हैं
हम सब इन दिनों.
अहा!
जवाब देंहटाएंकितनी बड़ी सच्चाई इतनेवकम शब्दों में।
सुंदर कृति
वाक़ई आजकल बच्चे जन्म लेते ही अमांजान और गूगल बाबा की शरण में जो आ जाते हैं
जवाब देंहटाएंपता नहीं क्या,
जवाब देंहटाएंपर कुछ तो हुआ है
कि बहुत जल्दी बड़े हो रहे हैं
हम सब इन दिनों.
सौ फ़ीसदी सच ।अति सुन्दर सृजन ।