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गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

६९६. पिता

 




पिता,

तुम्हारे जाने के बाद 

मैंने जाना 

कि गहरे धंसे हुए हो तुम 

मेरे अंदर,

फैलती ही जा रही हैं                                                                                       

तुम्हारी जड़ें,

मरे नहीं हो तुम,

पहले से ज़्यादा ज़िंदा हो,

मरने के बाद तुम मुझमें. 


**

पिता,

बहुत दिन हुए 

तुम्हारी आवाज़ सुने,

कभी मैं भी आऊंगा,

लेटूँगा तुम्हारी बग़ल में,

तुम कुछ कह पाओगे न,

मैं कुछ सुन पाऊंगा न ?



7 टिप्‍पणियां:

  1. मार्मिक कविता !
    हर बच्चा आदमी का पिता होता है, क्योंकि उसके आने से ही हुआ है पिता का जन्म, वे दो होकर भी एक हैं !

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  2. मरे नहीं हैं पिता,
    पहले से ज़्यादा ज़िंदा हैं वे
    मरने के बाद मुझमें.
    मर्मस्पर्शी सृजन ।

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  3. सच में माता पिता दुनिया से जाने के बाद भी हमेशा मन में बसे ही रहते हैं कहीं नहीं जाते। हृदयस्पर्शी कविता ।

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  4. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (०५ -०२-२०२३) को 'न जाने कितने अपूर्ण प्रेम के दस्तक'(चर्चा-अंक-४६३९) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  5. ओंकार जी, मार्मिक कविता ❗️
    नमस्ते 🙏❗️
    मेरी आवाज में संगीतबद्ध मेरी रचना 'चंदा रे शीतल रहना' को दिए गए लिंक पर सुनें और वहीं पर अपने विचार भी लिखें. सादर आभार 🌹❗️--ब्रजेन्द्र नाथ

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  6. बहुत ही मर्मस्पर्शी सृजन

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