मैं तुम्हें सालों से चाहता हूँ,
पर कभी कह नहीं पाया,
तुम्हारी आँखों में मुझे
कभी प्यार दिखता था,
कभी सिर्फ़ दोस्ती,
अपने दिल की बात
मैं तुमसे कैसे कहता,
मुझे ठुकराए जाने का डर
अपनाए जाने की उम्मीद से ज़्यादा था।
होने को तो हो सकता था
कि तुम सुनकर उछल पड़ती,
कह देती कि तुम्हें इसी का इंतज़ार था,
पर यह भी तो हो सकता था
कि तुम्हें इसमें मेरा छिछोरापन दिखता।
मैं मानता हूँ
कि थोड़े में ख़ुश हो जाने वाला
पुराने ज़माने का प्रेमी नहीं हूँ मैं,
मुझे या तो पूरी हाँ चाहिए
या कुछ भी नहीं, दोस्ती भी नहीं।
सुनो, तुम्हारी हाँ सुनने के लिए
मैं अगले जन्म का इंतज़ार भी कर सकता हूँ,
हालांकि मैं जानता हूँ
कि पुनर्जन्म जैसी कोई चीज़ नहीं होती।
आपकी लिखी रचना सोमवार 27 फरवरी 2023 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
वाह
जवाब देंहटाएंमुझे ठुकराए जाने का डर
जवाब देंहटाएंअपनाए जाने की उम्मीद से ज़्यादा था।
वाह!!!!
क्या बात...
लाजवाब👌👌🙏🙏
गजब समर्पित भाव।
जवाब देंहटाएंउम्दा सृजन, हृदय स्पर्शी।
वाह, प्रेमी मन की सच्ची सहज अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसहज,सरल सुंदर अभिव्यक्ति सर।
जवाब देंहटाएंसादर।
मुझे ठुकराए जाने का डर
जवाब देंहटाएंअपनाए जाने की उम्मीद से ज़्यादा था…।
प्यार में छटपटाते मन की अजीब उलझन…
कहा भी न जाए चुप रहा भी न जाए…जैसी स्थिति में फंसे मन का सुन्दर चित्रण किया है।
आदरणीय सर , एक प्रेमी के मन का बहुत ही भावपूर्ण और यथार्थपूर्ण चित्रण । मेरी आँखों के सामने एक कॉलेज के लड़के की छवि घूम गई जिसे पहली बार प्यार हुआ हो। अत्यंत सुंदर रचना के लिए आभार व आपको सादर प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंकौन कहता है कि पुनर्जन्म जैसी कोई चीज़ नहीं होती, पर हाँ किसी कि हाँ सुनने के इंतज़ार में एक जन्म ज़रूर काटा जा सकता है। पर हाँ भी तो तभी होगी जब इजहारे मूहोब्बत होगा तो पहले अपने मन की तो कह दीजिये आदरणीय बाकी सब उस पे छोड़ दीजिये। मन के भावों को बहुत ही खूबसूरती से उकेरा है आपने शुभकामनायें आपको।
जवाब देंहटाएंइस जन्म से उस जन्म तक सच्चे और सरल मन की अनकही दास्तां। बहुत सुंदर लिखा।
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