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मंगलवार, 15 मार्च 2022

६३८.अधमरा आदमी



मरा हुआ आदमी

जी नहीं सकता,

पर अधमरा

पूरा मर भी सकता है

और पूरा जी भी सकता है.


चलो,

थोड़ी जान फूंकते हैं

अधमरे लोगों में,

बचाते हैं उन्हें मरने से.


ऐसे लोग कहीं दूर नहीं,

हमारे आसपास ही हैं,

हम उन्हें देख सकते हैं

अगर अपनी आँखें खुली रखें

और पूरे जीवित रहें।


6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (16-03-2022) को चर्चा मंच     "होली की दस्तूर निराला"   (चर्चा अंक-4371)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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  2. मरा हुआ आदमी
    जी नहीं सकता,
    पर अधमरा
    पूरा मर भी सकता है
    और पूरा जी भी सकता है... समय का यही वह पल होता है जब उसके निर्णय उसे दिशा देते है।
    बेहतरीन 👌

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  3. गजब की अभिव्यक्ति।
    साधुवाद।

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