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सोमवार, 21 मार्च 2022

६४०. बूढ़ा पेड़

 


लोग जब बांधते हैं 

मनौती का धागा,

बूढ़ा पेड़ दुआ करता है 

कि मुराद पूरी हो. 

**

जब ज़ोर से चलती है हवा,

तो सहम जाता है बूढ़ा पेड़,

जबकि झेल चुका है वह 

न जाने कितने तूफ़ान. 

**

एक अरसे बाद 

बूढ़े पेड़ पर उगी हैं

थोड़ी-सी पत्तियां,

उसे लगता है, 

वह अभी जवान है. 

**

खेल-खेल में बच्चे 

तोड़ना चाहते हैं पत्तियां,

बूढ़े पेड़ ने झुका दी है 

अपनी डाली ज़रा-सी. 

**

बूढ़े पेड़ पर अब 

न फल हैं, न पत्ते, 

पर देने के लिए उसके पास 

बहुत कुछ है अभी भी. 

**

बूढ़े पेड़ की डाली पर 

अब नहीं रहे  

झूलों के निशान,

पर भूला नहीं है वह 

सावन की मस्ती. 

 

7 टिप्‍पणियां:

  1. गहन चिन्तन के साथ अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।

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  2. बूढ़े पेड़ को जीवन संदर्भ से जोड़ती चिंतनपूर्ण रचना ।

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  3. वाह ओंकार जी!! पेड़ को सब बिसरा देते हैं पर उसकी स्मृतियाँ सदैव हरी रहती हैं।भावपूर्ण रचना जो अन्तस भिगो ना जाने कितनी यादें का सैलाब ले आई।मुझे भी बचपन के कई बिछुडे पेड़ याद आ गये।🙏☹

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