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सोमवार, 20 जनवरी 2020

३९९. नए घर में

Architecture, Family House, Front Yard
सुनो,
नए घर में जाओ,
तो पुराना सामान 
ध्यान से देख लेना,
जो बेकार हो,
उसे फेंक देना,
जो काम का हो,
उसे रख लेना.

चादरें रख लेना,
धब्बे फेंक देना,
धागे रख लेना,
गांठें फेंक देना.

नए घर में जाओ,
तो छिड़क देना कमरों में 
थोड़ी मुस्कराहट,
थोड़ा अपनापन,
थोड़ी उम्मीद
और कटोरी-भर प्रेम .

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 21 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (22-01-2020) को   "देश मेरा जान मेरी"   (चर्चा अंक - 3588)    पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  3. चादरें रख लेना,
    धब्बे फेंक देना,
    धागे रख लेना,
    गांठें फेंक देना.
    लाजवाब ओंकार जी 👌👌🙏🙏🙏🙏

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  4. नए घर में जाओ,
    तो छिड़क देना कमरों में
    थोड़ी मुस्कराहट,
    थोड़ा अपनापन,
    थोड़ी उम्मीद
    और कटोरी-भर प्रेम .


    भावपूर्ण रचना ,सादर

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  5. बहुत प्यारी नसीहत.
    ख़ासकर, गांठों से मुक्ति पाना बहुत ज़रूरी होता है.
    वर्ना उम्र भर दुखती हैं.
    अच्छा लगा, ओंकारजी.

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