-१-
सदियाँ बीत गईं,
पर तुम मीठे न हुए,
तुमने उन्हें भी खारा कर दिया,
जो मीलों चलती रहीं,
तुमसे मिलने को तरसती रहीं.
-२-
मैं समंदर में मिलूँ,
खारी हो जाऊं,
इससे अच्छा है
कि रास्ते में ही सूख जाऊं,
मीठी बनी रहूँ.
-३-
कुछ मुलाकातें ज़रूरी होती हैं,
पर ज़रूरी नहीं कि अच्छी हों,
जैसे मीठी नदियों का
खारे समंदर में मिलना.
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (17-01-2020) को " सूर्य भी शीत उगलता है"(चर्चा अंक - 3583) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता 'अनु '
वाह
जवाब देंहटाएंसुंदर लेखन
नदियाँ नहीं पहुंचेंगी तो समुद्र सूख जाएगा.
जवाब देंहटाएंएक आदमी की दो बेटियों में से कुम्हार को ब्याही गयी बेटी चाहती है कि धूप खिली रहे ताकि उसके बर्तन जल्दी सूख जाएं और माली को ब्याही उसकी बेटी चाहती है कि खूब बारिश हो ताकि उसको पौधों में अपनी तरफ़ से पानी न देना पड़े.
बाप किस बेटी के लिए दुआ करे?
वाह सुंदर क्षणिकाएं ।
जवाब देंहटाएंसुंदर क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंउम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
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