वह महिला सबसे अलग है,
कुछ कहो, तो आँसू नहीं बहाती,
न ही चुप रहती है,
बहस करती है,
पलटकर जवाब देती है.
वह महिला निर्भर नहीं
किसी पुरुष पर,
उसे नहीं चाहिए
किसी की मंज़ूरी,
नहीं चाहिए
किसी का सहारा,
किसी का समर्थन.
वह पहनती है
अपनी पसंद की पोशाक,
खाती है अपनी पसंद का खाना,
सुनती है अपनी पसंद के गीत,
जाती है, जहाँ वह जाना चाहे,
नाचती है जब उसका जी करे,
हँसती है, जब हँसना चाहे,
करती है, जो उसका मन करे.
वह महिला जानती है,
वह किसी से कम नहीं,
बहुत ख़तरनाक है वह महिला,
उस पर नज़र रखना ज़रूरी है.
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 11 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बहुत ख़तरनाक है वह महिला,
जवाब देंहटाएंउस पर नज़र रखना ज़रूरी है. ///
बहुत सही ओंकार जी जो खुद के लिए जीती है संसार के किस काम की!बहुत ही धारदार रचना है🙏
बहुत ही सुन्दर सार्थक नारी महत्ता को रेखांकित करती भावप्रवण रचना आदरणीय सादर
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंअब ऐसी महिलाएँ सबसे अलग नहीं सब ऐसी ही होने वाली हैं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएं