top hindi blogs

रविवार, 14 जुलाई 2024

७७५. सभी टूटेंगे

 


शादी के मौसम में 

कई लोग जुड़ेंगे,

न जाने जुड़ेंगे या टूटेंगे


कुछ टूटेंगे झटके से 

जैसे टूटता है तिनका,

कुछ टूटेंगे आहिस्ता से,

जैसे टूटते हैं किनारे. 


कुछ अपने आप टूटेंगे,

कुछ टूटेंगे दबाव में,

कुछ आवाज़ के साथ टूटेंगे,

कुछ टूटेंगे चुपचाप. 


कुछ टूट तो जाएंगे,

पर अलग नहीं होंगे,

जैसे पेड़ से चिपकी हो 

अधटूटी टहनी. 


कुछ अलग तो हो जाएंगे,

पर टूटेंगे नहीं,

नए रास्ते खोजेंगे,

नई पगडंडियां बनाएंगे. 


कुछ टूटकर दुबारा जुड़ जाएंगे,

ऐसे कि पता ही न चले 

कि कभी टूटे भी थे, 

कुछ जुड़ तो जाएंगे,

पर एक दरार के साथ,

जो जीवित रखेगी 

फिर से टूटने की संभावना. 


थोड़ा-बहुत सभी टूटेंगे,

पर सबसे ज़्यादा वही टूटेंगे,

जिन्हें देखकर लगेगा 

कि ये कभी नहीं टूटेंगे. 


8 टिप्‍पणियां:

  1. गहन भावाभिव्यक्ति।
    सादर।
    ----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १६ जुलाई २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. क्योंकि एक दिन तो सभी को टूटना है जग से

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!ओंकार जी ,सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  4. सामाजिक समारोहों में बनने वाली स्थित का सजीव वर्णन।

    जवाब देंहटाएं
  5. सत्य को आईना दिखाती अभिव्यक्ति,आधुनिक युग के रिश्ते टूटे हुए से ही हैं,आदरणीय शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं