तुम्हारे हाव-भाव,
तौर-तरीक़े, चाल-ढाल
मुझे बिल्कुल पसंद नहीं,
मैं आँखें बंद करके सोचूँ,
तो भी कुछ ऐसा नहीं दिखता,
जो मैं पसंद करूँ तुममें,
पर न जाने क्यों,
तुम्हारा दुःख मुझसे
सहा नहीं जाता,
तुम्हारी ज़रा-सी तकलीफ़
मुझे बेचैन कर देती है,
न जाने क्यों मुझे हर वक़्त
तुम्हारा ही ख़्याल रहता है.
कभी-कभी मैं सोचता हूँ
कि काश मैं तुम्हें प्यार नहीं करता,
जैसे कि मैं तुम्हें पसंद नहीं करता.
सुन्दर
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति सर।
जवाब देंहटाएंसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ९ जनवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
भावपूर्ण अभिव्यक्ति सर।
जवाब देंहटाएंसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ९ जनवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
प्यार दिल से होता है जिस पर किसी का वश नहीं, पसंद दिमाग़ से होती है जो सदा उल्टा-सीधा चलता ही रहता है
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत
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