मैं उतना बदसूरत नहीं,
जितना दिखता हूँ,
मेरा चेहरा वैसा नहीं,
जैसा दिखता है.
मेरे चेहरे पर धूल है,
जो किसी ने उड़ाई थी,
अब ऐसे चिपक गई है
कि उतरती ही नहीं.
उड़ानेवाला नहीं जानता
कि किस-किस पर गिरेगी,
कहाँ-कहाँ गिरेगी,
किन चेहरों को ढकेगी
उसकी उड़ाई धूल.
वह तो यह भी नहीं जानता
कि धूल उड़ेगी,तो चिपकेगी
उसके अपने चेहरे से भी.
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 15 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संदेशपरक रचना ।
जवाब देंहटाएंगहरी बात
जवाब देंहटाएंअभिनव
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर,
जवाब देंहटाएंबहुत खूब 👌
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