मत चिपकाओ मेरे कमरे की दीवार पर
नए साल का कैलेंडर.
इसमें वही तारीख़ें हैं,
वही सप्ताह, वही दिन हैं,
यहाँ तक कि काग़ज़ भी वही,
स्याही भी वही है.
ये चेहरे, जिन्हें तुम नया बताते हो,
पुराने कैलेंडरों में भी थे,
बस इनकी मूँछें बढ़ गई हैं
या इनका हेयर-स्टाइल बदल गया है,
इनकी आँखों में वही अजनबीपन है,
इनके होंठों पर वही बनावटी मुस्कान है.
किसी नए साल की तरह पुराना है
तुम्हारा यह नया कैलेंडर,
इसे मेरे कमरे की दीवार पर मत चिपकाओ.
सुन्दर
जवाब देंहटाएंकैलेण्डर तो चिपकेगा
जवाब देंहटाएंइस वर्ष एक दिन जो जियादा है
सादर
बहुत सुंदर और सच को बंया करती रचना, आदरणीय शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंबात तो सही है, पर कैलेंडर बदलकर चिपकेगी ही।
http://narendraraja.blogspot.com/2024/03/blog-post_8.html
जवाब देंहटाएंwaah
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