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गुरुवार, 4 मई 2023

७१२.समय

 



समय जो बीत रहा है,

आओ,आख़िरी बूंद तक

उसका रस निचोड़ लें,

उसके बीजों को बो दें,

कहीं व्यर्थ न चला जाए

उसका छिलका भी. 


देखते ही देखते 

सर्र से निकल जाएगा समय,

जब वह निकल जाए,

तो अफ़सोस न रहे 

कि जो फिर कभी 

लौटकर आने वाला नहीं था,

उसे हमने यूं ही जाने दिया.   


  


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