हाल ही में एमाज़ॉन से प्रकाशित मेरी हिंदी कविताओं की पहली ई-बुक ‘इंद्रधनुष’ के कुछ रंग:
पानी, इतने लोगों को लील कर भी
तुम इतने शांत कैसे रह सकते हो,
तुम्हारा तो रंग भी नहीं बदला,
कहाँ गया तुम्हारी आँखों का पानी?
* **
अच्छा-बुरा जो भी है,
आज है,कल नहीं है,
अभी है,बाद में नहीं है.
इसलिए ज़्यादा दुःखी होना
उतना ही अर्थहीन है,
जितना ज़्यादा ख़ुश होना.
***
मैं तितली बनना चाहता हूँ,
पक्षी बनना चाहता हूँ,
जुगनू बनना चाहता हूँ,
मैं कुछ भी बन सकता हूँ,
पर नहीं बनना मुझे आदमी.
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